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काल सर्प दोष कैसे बनता है

काल सर्प दोष किसी व्यक्ति के जन्मकुंडली में होने वाले ग्रहों की स्थिति के आधार पर बनता है, और यह एक ज्योतिषीय गुण होता है जिसे व्यक्ति के जीवन में कठिनाइयाँ और संकट पैदा कर सकती हैं। काल सर्प दोष का निर्माण निम्नलिखित कारणों से हो सकता है:

1. राहु और केतु की स्थिति: काल सर्प दोष का प्रमुख कारण होते हैं राहु और केतु के ग्रहों की स्थिति. यदि राहु और केतु कुंडली के प्रमुख घरों में (प्रथम, सप्तम, नवम, द्वादश आदि) बैठे होते हैं और उनका प्रभाव अधिक होता है, तो काल सर्प दोष बन सकता है।

2. पितृदोष: पितृदोष भी काल सर्प दोष का एक कारण हो सकता है। यदि पितृदोष कुंडली में होता है, तो यह काल सर्प दोष की ओर जाने का कारण बन सकता है.

3. ग्रहों के द्रिष्टि बाधाएँ: काल सर्प दोष के निर्माण में, अन्य ग्रहों की द्रष्टि बाधाएँ भी महत्वपूर्ण हो सकती हैं। यदि कुंडली में ग्रहों की द्रष्टि बाधाएँ होती हैं, तो यह काल सर्प दोष को बढ़ा सकती हैं.

4. अच्छे कर्मों का परिणाम: काल सर्प दोष का कारण किसी के पूर्व जन्म के कर्मों का परिणाम भी हो सकता है।

काल सर्प दोष की ज्योतिषीय गणना और उसका फलादान केवल ज्योतिषियों या पंडितों द्वारा किया जा सकता है, और यह व्यक्ति के जन्मकुंडली के आधार पर निर्धारित होता है। काल सर्प दोष के प्रभाव को कम करने के लिए, व्यक्ति को योग्य ज्योतिषीय उपायों का पालन करना चाहिए, जैसे कि पूजा, मंत्र जाप, दान, व्रत, और अन्य उपाय।

आचार्य सागर जी:

आचार्य सागर जी एक अंतर्राष्ट्रीय सेलिब्रिटी ज्योतिषी हैं। पिछले 17 सालों से वह पूजा का आयोजन करते आ रहे हैं. उनके पास विभिन्न पूजाओं के लिए विशेष पंडितों की एक बड़ी टीम भी है। 

पंडित श्री सुनील तिवारी:

पंडित जी द्वारा कालसर्प दोष, मांगलिक दोष, अर्क विवा,ह कुंभ विवाह, वास्तु शांति, नवग्रह शांति, महामृत्युंजय दोष आदि कुंडली से संबंधित समस्त प्रकार के दोषों का निवारण पूर्ण विधि-विधान से संपन्न कराया जाता है। अभी तक देश विदेश के हजारों व्यक्ति लाभान्वित होकर सुखमय जीवन भगवान महाकाल के आशीर्वाद से व्यतीत कर रहे हैं।

जय श्री महाकाल जी ।