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गुरु चांडाल दोष
क्या होता है गुरु चांडाल दोष ?
वैदिक ज्योतिष अनुसार जहाँ राहु एक पाप और अत्यंत ही दूषित ग्रह माना गया है वहीँ
बृहस्पति बहुत ही शुभ
एवं सात्विक ग्रह है । स्वभावतः एक दूसरे से विपरीत ग्रह गुरु यानी ब्रहस्पति और राहु
की युति "गुरु
चांडाल दोष" का सृजन करती है ।
इसका नकारात्मक रूप का फल व्यक्ति के ज्ञान को दूषित करना और उसके ज्ञान को अनुचित
मार्ग में प्रयोग
करवाना होता है। गुरु है ज्ञान और जब राहु ज्ञान में ग्रहण लगाता है तो व्यक्ति गलत
दिशा में कार्य करता
है । वो समाज में रहकर समाज के लिए एवं अपने लिए भी अनुचित कर्म करता है ।
व्यक्ति के यश में कमी आती है और मान-सम्मान में कमी आती है। व्यक्ति ऐसे मे अनैतिक
रास्तों को अपना लेता
है और गलत माध्यम से पैसा कमाने के बारे में सोचता है जिसका परिणाम अंत में व्यक्ति के
लिए अहितकर ही होता
है ।
गुरु चांडाल दोष का कुछ प्रभाव हो सकते हैं :
- विचारों और धार्मिकता में विकृति : यह दोष व्यक्ति के विचारों में विकृति और धार्मिकता में संदेह या अस्थिरता का कारण बन सकता है ।
- संघर्ष और अवसाद : गुरु चांडाल दोष वाले व्यक्ति को अनिश्चितता, संघर्ष और मानसिक अवसाद के अनुभव हो सकते हैं ।
- संबंधों में विघ्न :: इस दोष के कारण संबंधों में विघ्न और अनिश्चितता हो सकती है ।
- कार्यों में असफलता : गुरु चांडाल दोष के कारण कार्यों में असफलता और बाधाएं हो सकती हैं ।
- स्वास्थ्य समस्याएं : इस दोष के कारण स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं, जैसे आंत्र, पाचन संबंधी समस्याएं आदि ।
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